बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन में पैसे बचाने के तरीके: सेल्फ एक्सपीरियंस

क्या आप, नया बिल्डिंग बनाने की प्लानिंग कर रहे हैं? या पुराने बिल्डिंग को रिनोवेट करना चाह रहे हैं? लेकिन परेशानी बजट को लेकर है।

इस आर्टिकल के माध्यम से, मैं अपना खुद का एक्सपीरियंस बताऊंगा कि, आप कैसे बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन में पैसे बचा सकते हैं।

होम कंस्ट्रक्शन का फोटो

हम में से हर बिल्डिंग मलिक का सपना होता है कि मेरा घर मजबूत और सुंदर कम पैसों में बनें, लेकिन सही प्लानिंग नहीं होने के कारण हमें ज्यादा पैसा खर्च करना पड़ जाता है।

बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन में पैसे बचाने के 11 तरीके

हाल ही में, मैंने एक अपना घर बिहार के अररिया जिले में बनवाया है। जिसे आप ऊपर फोटो में देख सकते हैं।

इस बिल्डिंग को मुझे पूरी तरह तैयार करवाने में लगभग 15 महीने लगे और मैं फुल टाइम लगा करके यह बिल्डिंग बनवाया है।

यह बिल्डिंग डुप्लेक्स है और यह 200 गज (लगभग 4.2 डिसमिल) एरिया में बना हुआ है। इस बिल्डिंग को बनवाने में, मैं कहां-कहां पैसे कैसे बचाए है। वह आपके साथ में शेयर करना चाहता हूं।

1. प्लानिंग और फंड की तैयारी

जमीन मेजरमेंट: मैंने अपने घर बनवाने से पहले जमीन का करंट म्यूटेशन करवाया था। उसके बाद, मैं सरकारी अमीन से अपने जमीन की नपाई करवाया। नपाई के बाद टेंपरेरी पिलर डलवा दिया।

मेरे चौहद्दी में, दो दिशाओं में सड़क था और बाकी दो दिशाओं में हमारे पड़ोसी थे। नपाई के दिन, पड़ोसियों भी मैं रहने के लिए कहा था। ताकि भविष्य में कोई विवाद ना हो।

मिट्टी की जांच: मैंने अपने जिला मुख्यालय में स्थित, कार्यालय से मिट्टी की जांच करवाया था।

मिट्टी की जांच सही था या गलत, इस बात को चेक करने के लिए मैंने गूगल सर्च किया तो मुझे बहुत सारा सॉइल टेस्ट का डॉक्यूमेंट मिला।

जो मेरे आस-पास के जगह पर सरकार के द्वारा पुल बनाए जाने वाले ठेकेदार के थे।

परिवार के साइज के अनुसार घर का साइज: याद रखने की कोई भी मकान कम से कम 50 से 60 सालों के लिए बनता है।

इस बात को ध्यान में रखते हुए परिवार की संख्या के अनुसार ही, कमरों की संख्या एवं अन्य आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर नक्शा डिजाइन करवाएं।

आर्किटेक्ट से घर का नक्शा एवं स्ट्रक्चर डिजाइन: आर्किटेक्ट से अपनी सही रिटायरमेंट के बारे में बताएं। अपनी जमीन की लंबाई और चौड़ाई भी बताएं। साथ में बताएं कि चारों दिशाओं में क्या है?

मैंने जस्ट डायल में Delhi Location डाल करके आर्किटेक्ट को सर्च किया, उसके बाद मुझे कई आर्किटेक्ट का कॉल आया। उससे नेगोशिएशन में ₹8000 में तो किसी से ₹6000 में नक्शा बनाने की बात हुई।

दोनों आर्किटेक्ट से फाइनल हुआ कि, नक्शा बनने से पहले 50% अमाउंट एडवांस के रूप में देना होगा। मैंने दोनों को ही 50% अमाउंट यूपीआई के माध्यम से ट्रांसफर कर दिया है।

एक सप्ताह के भीतर ही दोनों में पहले रफ नक्शा मुझे ईमेल के द्वारा भेज दिया। और फिर मैंने दोनों से नशे में दो से तीन बार कलेक्शन करवाया।

उनमें से एक आर्किटेक्ट का नक्शा मुझे पसंद आया और मैं उससे मिलने के लिए दिल्ली आ गया। उसे आर्किटेक्ट से मिलने के बाद मुझे बहुत कुछ जानने को मिला।

इस आर्किटेक्ट से मैंने मकान का स्ट्रक्चर डिजाइन करवाया। उसने स्ट्रक्चर डिजाइन करने का मुझे ₹30000 चार्ज किया था।

स्ट्रक्चर डिजाइन करवाने से बहुत ज्यादा फायदा है। यह मानकर चलिए कि, बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन का आपको 10% का कॉस्ट कटिंग हो जाएगा।

घर का नक्शा पास करवाना: मेरा घर ग्राम पंचायत एरिया में पड़ता है। लोगों से पता करने के बाद पता चला कि ग्रामीण इलाके का नक्शा पास करने का प्रावधान है और आप अपने पंचायत के प्रधान या मुखिया से नक्शा पास करवा सकते हैं।

फंड की तैयारी: स्ट्रक्चर डिजाइन करने वाले आर्किटेक्ट ने मुझे बता दिया था कि, अगर आप 60% फंड की पहले से आप तैयारी कर लेते हैं तो आपको मकान बनाना काफी सस्ता होगा।

मैं इस मकान को बनाने के लिए 6 साल पहले एक जमीन खरीद रखा था, मैंने उसे बेच दिया। कुछ पैसे मैंने लोगों को उधार दे रखा था उसे वापस मांग लिया। इस तरह से लगभग में 70% फंड की तैयारी कर लिया था।

2. शुरुआती मटेरियल की खरीदारी

ईंट की खरीदारी: हमारे Bihar के भौगोलिक स्थिति के अनुसार नवंबर का महीना बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन करने का अच्छा महीना माना जाता है।

लेकिन मैंने अगस्त के महीने में ही ईंट बनाने वाले से बातचीत शुरू कर दिया था। मैंने अपने घर में मिट्टी से बने हुए ईद का उपयोग किया था।

कई लोगों से बातचीत करने से पता चला कि, अगर मैं उसे एडवांस पेमेंट दे दूं तो मुझे सस्ता ईंट देगा।

₹7000 के रेट से मैं ने ईंट खरीदने का एग्रीमेंट किया और उसे मैं ₹5 लाख एडवांस कर दिया। इस एग्रीमेंट से मुझे प्रति हजार में ₹3000 का बचत हुआ था।

बालू की खरीदारी: दिल्ली क्षेत्र में बालू को बदरपुर भी बोलते हैं लेकिन मेरे बिहार में से रेता या बालू ही बोला जाता है। मैंने बालू की गुणवत्ता पहचान के लिए, यूट्यूब में बहुत सारे वीडियो देखें इसके अलावा जिन लोगों ने पहले मकान बनाया था उनसे काफी बातचीत किया।

मुझे यह भी ज्ञान मिला कि अपने ठेकेदार के साथ कभी भी कोई सामान नहीं खरीदें क्योंकि उसका कमीशन पहले से फिक्स होता है।

मेरे क्षेत्र में सुबह-सुबह बालू का ट्रक आता है। मैं 2 इंच का 5 फीट का पाइप साथ लेकर जाता था। ट्रक वाले अक्सर मुझे ऊपर वाले बालू दिखते थे।

लेकिन जब मैं पाइप डाल करके 5 फीट नीचे का बालू निकलता था तो उसकी क्वालिटी में फर्क आ जाता था। 5 से 6 दिन चक्कर लगाने के बाद मुझे सही बालू मिल गया।

गिट्टी की खरीदारी: ठीक बालू की क्वालिटी की तरह ही गिट्टी की क्वालिटी के लिए भी मैंने काफी यूट्यूब वीडियो देखा और आसपास के लोगों से बात किया।

गिट्टी और बालू के मार्केट एनालिसिस से मुझे पता चला कि, अगस्त और सितंबर आफ सीजन होता है और उसे समय बिहार में सस्ता कितनी बालू मिलता है।

इसको देखते ही मैंने, तीन ट्रक बालू और दो ट्रक गिट्टी कम रेट में खरीद लिया। अपने प्लॉट के पास, एक प्लाट खाली था उसे प्लॉट को मैंने बहुत कम पैसे में 1 साल के लिए रेंट पर ले लिया।

और वहां पर मैंने एक छोटा सा टेंपरेरी कैमरा भी बना दिया। धीरे-धीरे मैंने सारा मटेरियल को जमा करना शुरू कर दिया है।

सरिया की खरीदारी: मैंने अपने घर में टाटा का सरिया एवं तार उपयोग किया हूं। टाटा का सरिया खरीदने के लिए मैंने टाटा के वेबसाइट पर अपने आसपास के सभी डीलर का पता और फोन नंबर निकला।

बड़ी-बड़ी से हर किसी से कांटेक्ट किया और उसे नेगोशिएशन स्टार्ट किया। साथ ही मैंने गूगल सर्च से यह भी पता किया है कि टाटा का सरिया पिछले 5 सालों में कब दाम घटा था और कब बड़ा था।

मेरे एनालिसिस में पता चला कि, दीपावली से पहले तक सरिया का दाम कम रहता है। क्योंकि इससे पहले पूरे भारत में बारिश का मौसम रहता है तो लोग घर के कंस्ट्रक्शन का काम काम करते हैं।

मैं स्ट्रक्चर डिजाइन करवाया था। मुझे एग्जैक्ट पता था कि मेरे प्रोजेक्ट में कितने एमएम का कितना सरिया का आवश्यकता है।

मैं इस लिस्ट को लेकर के टाटा के ऑथराइज्ड डीलर के साथ माल भाव शुरू कर दिया। माल भाव करने से मुझे 7% का डिस्काउंट मिला। टाटा का सरिया का रेट उसके वेबसाइट पर दिया रहता है।

पिलर एवं भीम का रिंग बनाने के लिए छोटा पीस का सरिया मुझे कबाड़ी वाले के यहां आधे रेट में मिल गया। कबाड़ी वाले के यहां अक्सर मिस्त्री मजदूर लोग छोटे पीस का सरिया चोरी कर कर बेच देते हैं।

सीमेंट की खरीदारी: सीमेंट की खरीदारी करने के लिए भी मैंने यूट्यूब देख और लोगों से ज्ञान प्राप्त किया। मुझे पता चला कि सीमेंट रेक से खरीदना चाहिए। जहां पर की आपको ताजा सीमेंट मिलता है।

हमारे आर्किटेक्ट में भी बताया था कि आपका सीमेंट एक महीना से ज्यादा पुराना नहीं होना चाहिए। हर महीने की जरूरत के अनुसार में रिएक्ट से ही होलसेल रेट में सीमेंट खरीदता गया।

ठेकेदार के साथ एग्रीमेंट: मेरे घर बनाने वाले ठेकेदार अपने ही लोग थे मैंने उनके साथ एग्रीमेंट नहीं किया। सिर्फ उनसे 145 रुपए स्क्वायर फीट के हिसाब से रेट तय कर लिया।

ठेकेदार ने समय-समय पर ज्यादा से ज्यादा पैसे मेरे से निकाल लिया और प्रोजेक्ट को अधूरा छोड़कर के भाग गया। उसके बाद मैं दूसरे ठेकेदार से बात किया उसे ₹300000 देकर के घर का प्लास्टर का काम पूरा करवाया।

धोखा खाने के बाद मैं ने, दूसरे ठेकेदार के साथ ₹100 के स्टांप पेपर पर एग्रीमेंट करवाया था। जिसमें यह बात भी लिखवाया था कि प्रोजेक्ट के पूरा होने के बाद ही बाकी 20% रुपया मिलेगा।

3. राजमिस्त्री के साथ मेरा एक्सपीरियंस

घर बनाने वाले राजमिस्त्री के साथ मेरा एक्सपीरियंस अच्छा नहीं रहा है।

जब आप घर का स्ट्रक्चर डिजाइन करवाने के बाद घर बनवेट हैं तो ऐसे में राज मिस्त्री आपके घर में हेरा फेरी नहीं कर पाते हैं।

कई बार ऐसा हुआ कि स्ट्रक्चर गलत बन गया और जब स्ट्रक्चर इंजीनियर ने देखा तो उसे तोड़ने के लिए कह दिया। मेरे ठेकेदार को उसे तोड़ने के बाद दोबारा बनाना पड़ा।

इसीलिए मैं कहूंगा कि ऐसे ठेकेदार को ही मकान बनाने का कॉन्ट्रैक्ट दिन जो स्ट्रक्चर नक्शा के अनुसार घर बनाने में सक्षम हो।

मकान की तराई: मकान की मजबूती के लिए, उचित तराई बहुत ही ज्यादा आवश्यक है। इसके लिए मैं अलग से एक मजदूर रखा था। जो तराई के अलावा अन्य कामों को भी देखा था।

मसाले को सही से मिलना: ठेकेदार के साथ बात करके मैंने एक आदमी को फिक्स कर दिया था कि वही हमेशा गिट्टी बालू या सिर्फ बालू का मसाला बनाएं।

इस बात को चेक करने के लिए मैंने कैमरा लगवाया था। इंजीनियर के द्वारा बताए गए सीमेंट बालू का सही मिश्रण नहीं बनेगा तो आपके मकान में वह स्ट्रैंथ नहीं आएगा।

मटेरियल को कम से कम वेस्ट करना: शाम के समय जब भी काम खत्म होता था तो मैं टॉर्च या लाइट के मदद से खुद से चेक करता था कि कोई सामान इधर-उधर तो फेंक नहीं गया है।

पीलर और बीम: जब भी पिलर या बीम का काम होता था तो उसे समय में खुद मौजूद रहता था। मेरे मकान में पहले पिलर बीम और छठ का काम हुआ था।

लोहे का फरमा ठीक से सेट करना, उसका गुनिया को चेक करना महत्वपूर्ण कार्य होता है। साथ ही यह भी महत्वपूर्ण है कि मसाला डालते समय वाइब्रेटर को ठीक से चलाया या नहीं।

4. प्लंबिंग मटेरियल की खरीदारी में पैसे बचाया 

प्लॉडिंग मटेरियल खरीदने से पहले मैंने अपने स्ट्रक्चर इंजीनियर के साथ वार्तालाप किया और उसके बाद जो समझ में नहीं आया उसके बाद मैं यूट्यूब वीडियो से सीखा।

रिसर्च की आवश्यकता इसलिए थी, कि मेरे घर में पांच बाथरूम है। मेरे रिसर्च से पता चला कि इंटरनल फिटिंग पाइप के लिए आशीर्वाद सबसे अच्छा ब्रांड लगा और बाकी डायरेक्टर मैं जैगुआर का लगाया।

मैंने आशीर्वाद के वेबसाइट पर विकसित किया और मैं अपने क्षेत्र के सभी आशीर्वाद के डीलर का एड्रेस और फोन नंबर को सेव कर लिया। उनसे जाकर मिलना शुरू किया।

मिलने के बाद मुझे पता चला कि कोई मुझे 30% या कोई फिर 35% तक आशीर्वाद के समान पर डिस्काउंट देने को तैयार हो गया।

प्लंबिंग मटेरियल में बहुत सारे सामान होते हैं जिसका नाम आम लोगों को याद नहीं होता है। उसमें मैंने देखा कि कुछ सामानों का उसने गलत रेट लगा रखा है।

मैंने आशीर्वाद के वेबसाइट से आशीर्वाद के रेट लिस्ट को मैं निकला, उसे पीडीएफ में अच्छी बात यह थी कि नाम के साथ फोटो भी दिया हुआ था और उसका दाम लिखा हुआ था।

मैंने चेक किया तो मुझे पता चला कि मेरे डीलर ने मुझे लगभग 120000 रुपए का चुना लगवाया है। जब मैं डीलर को यह बात बताया तो उसने माफी मांगने लगा और कहने लगा कि मेरे स्टाफ की गलती से ऐसा हो गया होगा।

मेरी राय में सबसे पहले आप आशीर्वाद के वेबसाइट से पीडीएफ डाउनलोड कर लीजिए। उसमें से कुछ मटेरियल का फोटो देखकर के उसके नाम को याद कीजिए।

इसी PDF के अनुसार से अपने प्लंबिंग मटेरियल के समान का रेट बनाया और उसके बाद आप 35% डिस्काउंट मागं लीजिए।

प्लंबर से भी आप एग्रीमेंट करवा ले तो फायदे में रहेंगे। कभी भी ज्यादा पेमेंट ना दें। जब तक आपके पास पेमेंट रहेगा, तभी तक आप खुश रहेंगे,

5. इलेक्ट्रिकल मैटेरियल की खरीदारी: बचत 

मैंने इलेक्ट्रीशियन से एग्रीमेंट करवा लिया। इलेक्ट्रीशियन ने कटिंग का काम शुरू किया और उसमें पाइप डलवाती डाल दिया। प्लास्टर पूरा होने के बाद वायरिंग का काम शुरू हुआ।

मैं मार्केट एनालिसिस किया तो मुझे हैवेल्स का व्हाइट के बारे में पता चला कि यही ठीक है। लेकिन जब मैं खरीदने गया तो मुझे पता चला कि इसमें असली और नकली दोनों ही मार्केट में चल रहा है।

असली की पहचान हैवेल्स के मोबाइल ऐप से स्कैन करने पर ही होता है। मिस्त्री के साथ कभी भी आप समान नहीं खरीदें। उसे रिटायरमेंट के अनुसार लिस्ट बनवा लें।

6. इलेक्ट्रिक और प्लंबिंग मिस्त्री के साथ मेरा एक्सपीरियंस

इलेक्ट्रिक और प्लंबिंग मिस्त्री व्यवहार में चाहे कितना अच्छा क्यों ना हो। उस पर आपको पेनी नजर बनाकर रखना पड़ेगा। थोड़ा सा भी भरोसा करेंगे तो आपका सम्मान को जरूर वह साफ कर देगा।

अक्सर यह दोनों काम को ही अपने रहते हुए ही करवाए तो ज्यादा बेहतर होगा।

7. फॉल सीलिंग में मैंने पैसे कैसे बचाएं

मैंने अपने घर में pop का फॉल सीलिंग करवाया है। फॉल सीलिंग का सभी मटेरियल मैंने दिल्ली से खरीदा था। POP मैंने अपने लोकल बाजार से खरीदा था।

फॉल सीलिंग में लगने वाले पदार्थ की गुणवत्ता पर आपको ध्यान देना होगा। फॉल सीलिंग की डिजाइन मुझे अपने आर्किटेक्ट से मिला था और कुछ मैंने गूगल सर्च से प्राप्त किया था।

फॉल सीलिंग मिस्त्री से मैं स्क्वायर फीट के हिसाब से बात किया था। रूम के हिसाब से काम पूरा होने पर ही पैसे देने की बात हुई थी।

8. विंडो और गेट का काम मैं कैसे करवाया

मैंने अपने घर में सभी विंडो और गेट लकड़ी का लगवाया है। मेरे घर में इनकी संख्या बहुत ज्यादा थी तो इसको देखते हुए मैं दिल्ली से इन सभी को खरीदा था।

फिर क्यों और पार्टीशन में मेरे घर में गिलास वर्क बहुत ज्यादा था तो मैं गिलास भी दिल्ली से खरीदा था। मेरे बिहार से दिल्ली में मुझे आधे रेट में मिला था।

बाकी अपने घर में कपबोर्ड और अलमारी बनवाने के लिए मैंने सेंचुरी का अप्लाई और माइक अपने ही शहर में खरीदा था। लेकिन इसमें लगने वाला मेटल के समान एवं फेविकोल और टैक्स को मैं दिल्ली से ही खरीदा था।

किचन का समान हो चाहे आपका अलमारी का मेटल समान हो वह दिल्ली के चावड़ी बाजार में काफी सस्ता मिल जाता है।

9. मार्बल और टाइल्स का काम कैसे करवाया और बचाया

मैंने मार्बल और टाइल्स भी दिल्ली से खरीदा था। क्योंकि मैंने एक 14 छक्का का ट्रैक किया था जिसमें मुझे सारा सामान लाना था।

बिहार के अपेक्षा दिल्ली में मार्बल टाइल्स और ग्रेनाइट काफी सस्ता मिला था।

10. घर में पेंट – पेंटर और पेट का एक्सपीरियंस

घर का पेट एवं लकड़ी का पॉलिश का भी सारा सामान मैं दिल्ली से ही खरीदा था। मैंने अपने घर में डीलक्स का वॉलेट टच पेंट किया हूं।

लकड़ी के पॉलिश का सामान बिहार के अपेक्षा दिल्ली में काफी हाई क्वालिटी का मिलता है और उसका रेट भी कम लगता है।

11. फर्नीचर की खरीदारी और घर की साफ सफाई

मैंने अपने घर के लिए पलंग, अलमारी सोफा आदि दिल्ली के ही जामिया नगर इलाके से खरीदा था। बिहार के अपेक्षा यह सामान भी मुझे यहां पर काफी सस्ता मिला था।

Conclusion Points

मेरे अनुसार, अगर आप भी मेरे तरीके को अपनाएंगे तो आप अपने बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन में 30% तक कॉस्ट कटिंग कर सकते हैं।

यकीन मानिए मुझे दिल्ली से सामान खरीदने पर घर बनाना काफी सस्ता पड़ा। उससे भी ज्यादा अच्छा एक्सपीरियंस रहा कि मैं अपने मकान का स्ट्रक्चर डिजाइन करवाया था जिससे कि मुझे और भी सस्ता पड़ा।

मुझे पूरा उम्मीद है कि इस आर्टिकल को पढ़ने के बाद आपको भी मेरे एक्सपीरियंस से कुछ ना कुछ सीखने को जरूर मिला होगा।

अगर आपके पास भी कुछ ऐसा ही एक्सपीरियंस हो तो कृपया कमेंट बॉक्स में लिखें। इसके अलावा कोई Question भी हो तो आप उसे कमेंट में लिख सकते हैं।

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